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३१ जुलाई- शहीद उधमसिंह की 74 वी शहादत दिवस पर विशेष

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३१ जुलाई- शहीद उधमसिंह की 74 वी शहादत दिवस पर विशेष   शहीद उधमसिंह को आज ही के दिन १९४० में फांसी दी गई थी। जलियां वाला बाग काण्ड के २१ वर्ष बाद उन्होने जनरल डायर को कैक्सटन हाल लन्दन में गोली से उडाकर नरसंहार का बदला लिया था। पहले से स्पष्ट कर दिया जाए कि यह वो डायर नहीं था जिसने जलियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश दिया था। १३ ्प्रैल १९१९ को सायं ५.१५ बजे जब पं.दुर्गादास सभा को सम्बोधित कर रहे थे और हंसराज जी पास ही थे,उस समय शूटिंग का आदेश हुआ और पांच हजार की भीड में से लगभग १५०० लोग जिनमें बच्चे बूढे,मर्द औरते सभी शामिल थे,मारे गए। अमृतसर के कसाई के नाम से कुख्यात इस खलनायक का नाम रैजनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर था। इसका जन्म भारत में ही १८६४ में रावलपिण्डी के निकट पीरपंजाल की पहाडियों में मुरी नामक स्थान पर हुआ था। इसका बचपन शिमला में बती। जब ये लगभग १५ वर्ष की उम्र में लन्दन पढने गया तो वहां इसके साथी इसे ब्लडी इंडियन कहकर पुकारते थे और वैसे भी अभिजात्य अंगे्रजी समाज में इसके परिवार की इज्जत नहीं थी। अत: ये भारतीयों से दिली नफरत करता था। उधमसिंह ने हत्या का मंजर अपनी आंखों से

प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

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हम पत्रकारों के प्रेरणा श्रोत मुंशी प्रेमचंद को सतसत नमन प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

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  हम पत्रकारों के प्रेरणा श्रोत मुंशी प्रेमचंद को सतसत नमन    प्रेमचंद जयंती पर विशेष- प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था तथा पिता मुंशी अजायबराय लमही में डाकमुंशी थे।[5] उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी से हुआ और जीवनयापन का अध्यापन से। पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही लग गया। 13 साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्मे होशरूबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिरजा रुसबा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया[6]। १८९८ में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी १९१० में उन्‍होंने अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इंटर पास किया और १९१९ में बी.ए.[7] पास करने के बाद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो जाने के कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा।[8] उनका पहला विवाह उन दिनों की परंप