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जनवरी 7, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इरोम के समर्थन में आन्दोलन कर रहे सभी बंदियों को मिले राजनीतिक बंदी का दर्जा: सोमप्रकाश

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इरोम के समर्थन में आन्दोलन कर रहे सभी बंदियों को मिले राजनीतिक बंदी का दर्जा: सोमप्रकाश    औरंगाबाद। बिहार राज्य निर्माण श्रमिक कल्याण संघ के अध्यक्ष एवं ओबरा के निर्दलीय विधायक सोमप्रकाश सिंह ने मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला के 15 वर्षों से जारी आमरण अनशन के समर्थन में औरंगाबाद समेत राज्य के विभिन्न जेलों में आन्दोलन कर रहे बंदियों को राजनैतिक बंदी का दर्जा देने की मांग की है। श्री सिंह ने औरंगाबाद मंडल कारा जाकर आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा से मुलाकात कर बाहर आने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान यह मांग उठायी। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे को राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों को उठाना चाहिए था उस मुद्दे को बंदियों ने उठाकर समाज की आँखें खोलने का काम किया है और वे इस आन्दोलन का हर स्तर पर समर्थन करते हैं। श्री सिंह ने कहा कि बंदियों की सभी मांगें जनपक्षीय हैं और इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार एक उच्च स्तरीय कमिटी गठित करे और यह कमिटी आन्दोलनकारियों से वार्ता कर उनके द्वारा उठाये जा रहे 20 सूत्री मांगों का सम्मानजनक हल निकाले। उन्होंने चेतावनी दे

विधायक सोमप्रकाश के पहल पर माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा ने तोड़ा मौन

विधायक सोमप्रकाश के पहल पर माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा ने तोड़ा मौन 4 दिनों के अनशन के बाद किया जल ग्रहण, इरोम के समर्थन में आन्दोलन पर डटे रहने का फैसला औरंगाबाद। मणिपुर में लागू अफसपा कानून को हटाने की मांग को लेकर 15 वर्षों से अनशनरत सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला के समर्थन में चल रहे आन्दोलन की कड़ी में मौन व्रत रखते हुए पेय जल का त्याग करने के फैसले को माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा ने समाप्त कर दिया है। मंडल कारा में 4 दिनों तक मौन साधे रहने के दौरान जल ग्रहण नहीं कर रहे श्री मिश्रा से आज ओबरा के निर्दलीय विधायक सोमप्रकाश सिंह, भ्रष्टाचार प्रतिरोध संघर्ष मोर्चा के संस्थापक आलोक कुमार, बंदी अधिकार आन्दोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय, विधायक प्रतिनिधि कुमुद रंजन एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुचित मिश्रा ने जेल के अन्दर जाकर मुलाकात की। मुलाकात के दौरान आरंभिक क्षणों में इन नेताओं के बीच लिखित रूप में बातें हुई। इस दौरान नेताओं ने कहा कि वे उनके आन्दोलन का सम्मान करते हैं और उनकी सभी मांगें जायज हैं लेकिन इन मांगों को लेकर अभी लम्बी लड़ाई लड़नी है तभी सरकार मांगों को पूरा करेंगी। इस नाते