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"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर

"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गँवा कर जब अन्त समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं" इन चार पँक्तियों में सीमित एक सैनिक की असीमित ज़िन्दगी को निभाने वाले तमाम कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि। कई लड़े, कई घायल हुए, कई शहीद हुए - लेकिन सब जीते, देश जीता, भारत जीता। कारगिल विजय दिवस की शुभकामनाएं।

लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन, दरभंगा में रोकी ट्रेन

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प्रदर्शन करते एआईएसएफ के सदस्य विद्या सागर पटना. गुरुवार को छात्रों के विधानसभा मार्च के दौरान पुलिस के लाठी चार्ज के विरोध में छात्र संगठनों ने शनिवार को पूरे राज्य में चक्का जाम की घोषणा की। राज्य भर में इस आंदोलन का व्यापक असर दिखा। शनिवार को सुबह से ही छात्र संगठनों के जाम के कारण कई शहरों में पब्लिक को फजीहत झेलनी पड़ी। छात्र लाठीचार्ज के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वहीं छात्रों ने दरभंगा रेलवे स्टेशन पर नई दिल्ली सुपर फास ्ट ट्रेन को भी रोक दिया था। राजधानी में तीन मेगा ब्लॉक छात्र संगठनों के इस बंद का मुख्य असर तीन मार्गों पर रहा। इसमें पटना विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर छात्रों ने सबसे अधिक देर तक रास्ता बंद रखा। यहां रास्ता साफ कराने को लेकर पुलिस और छात्रों के बीच झड़पें भी हुई। दूसरी ओर चक्का जाम की शुरुआत अनीसाबाद से हुई जहां देर तक छात्रों ने जाम लगाए रखा। इस संबंध में एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि हमारी मांगों पर कार्रवाई तो दूर कोई सुन भी नहीं रहा है। शांति मार्च के दौरान पुलिस का रवैया

सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे शहीदों के गांव

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  विद्यासागर  पटना। 26 जुलाई 1999 का दिन देश के लिए एक ऐसा गौरव लेकर आया था जब सारी दुनिया के सामने विजय का बिगुल बजाया। इस दिन भारतीय सेना ने करगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरशेन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। कारगिल युद्ध में एकीकृत बिहार के 18 जवानों ने देश की रक्षा के लिए हंसते हुए अपनी शहादत दी थी।एकीकृत बिहार के बटवारे के बाद बिहार और झारखंडवासी उनके शहादत पर हर वर्ष गर्व महसूस करते हैं। लेकिन इन शहीदों के परिवार वालों की स्थित दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। युद्ध के बाद तत्कालिन केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उस वक्त शहीद के परिवार के आर्थिक, सामाजिक हालत सुधार के लिए पेट्रोल पंप, कुकिंग गैस और कैरोसीन एजेंसी देने का वादा किया था। तत्कालिन लालू-राबड़ी सरकार ने भी शहीदों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए सरकारी सुविधाएं देने की धोषणा की थी। वक्त बितने के साथ ही सरकारी उदाशिनता के कारण शहीदों के परिवार की आर्थिक व सामाजिक हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते चले गये। सरकार के नुम