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मिनी बिहार की झलक देखनी हो तो आइए गांधी मैदान

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मिनी बिहार की झलक देखनी हो तो आइए गांधी मैदान बिहार दिवस समारोह का उद्घाटन आज ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ की तर्ज पर सजा गांधी मैदान का हर कोना मॉडलों में खेत-खलिह ान से लेकर शहर तक की मिलेगी झलक बगदाद व पेशावर के लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका मेले में पार्किग, फूड मेला, सुरक्षा व लाइव शो की पूरी व्यवस्था विद्या सागर पटना। अगर आपको मिनी बिहार की झलक देखनी है तो चले आइये राजधानी के गांधी मैदान में। गांव-जहान से खेत-खलिहान तक। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, बौद्ध से लेकर जैन मंदिर तक हर वो चीज जिसे आप बिहार की पहचान के रूप में देखते हैं आपको देखने को मिलेगा गांधी मैदान में। जी हां, रविवार से शुरू हो रहे बिहार दिवस समारोह में विभागों द्वारा तैयार किये गये मॉडलों में विकासशील बिहार की झलक मिलेगी। गांधी मैदान में आयोजित बिहार दिवस की प्रदर्शनी में कृषि विभाग द्वारा तैयार किये गये मॉडल को पूरी तरह से गांव को फोकस कर बनाया गया है। गांव का दिखाया गया है। गांव के मुख्य द्वार बांस के टुकड़ों से तैयार किये गये हैं। मंडप में प्रवेश करते ही तीन लोगों की

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फिर झगड़े क्यों

फिर झगड़े क्यों जात-पात में भेद कहाँ अब, केवल झूठी शान। बाबू साहब ने खोली है जूते की दूकान। लौन्ड्री में लोगों के कपड़े पंडितजी हैं धोते। छान रहे हैं गरम जलेबी लालाजी के पोते। शर्मा जी का ‘डेरी फारम’ रखते भैंस पचास। दूध मिलाते हैं पानी में और बने हैं व्यास। बन कलाल यादवजी बैंठें, रोज कलाली खोलें। रविदास जी काँवर लेकर ‘हर-हर, बम-बम’ बोले। पासवानजी ने टाउन में खोली है सैलून। बिसकमरा के बेटे बेचें हल्दी-धनियां-नून। वर्ण-व्यवस्था टूट चुकी है, सब हैं एक ही घाट। जिसके पाले जितना पैसा, उसकी उतनी ठाठ। फिर झगड़े क्यों जात-पात के ............. कुछ सोचो, कुछ जानो। कौन लड़ाता है आपस में........ बूझो और पहचानो। -विद्या सागर