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बिहार में मंडलवाद पर जनता की मुहर से निकली कमंडल की हवा

बिहार में मंडलवाद पर जनता की मुहर से निकली कमंडल की हवा  विद्या सागर पटना। बिहार में हुए राजनीतिक बदलाव के बाद 10 सीटों पर हुए उपचुनाव में मंडलवाद पर जनता की मुहर लगने के बाद कमंडल की हवा निकल गयी। लोकसभा चुनाव में सूबे में लालू और नीतीष को मिली करारी हार के बाद एक हुए लालू-नीतीष को उपचुनाव में जनता ने उनके मिलन को स्वीकार किया। सूबे में धूर विरोधी लालू और नीतीष ने अपनी दुष्मनी को दोस्ती में बदली तो 10 सीट में 6 पर महागठबंधन का कब्जा हो गया, जबकि 4 पर भाजपा ने अपना कब्जा किया है। यह चुनाव परिणाम, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की दोस्ती के ख्याल से सबसे अहम था। चुनाव परिणाम से यह तो सिद्ध हो गया कि इस दोस्ती को जनता ने भी कबूल कर लिया। यही कारण रहा कि राजद-जदयू-कांग्रेस के महागठबंधन को दस में से छह सीटें मिली है। उप चुनाव के आठ सीटों पर भाजपा की लोकसभा चुनाव में बढ़त थी। लेकिन इस बढ़त को भाजपा ने 3 माह भी बरकरार नहीं रखा। 2010 में हुए चुनाव में उपचुनाव वाली 10 में 6 सीटों पर भाजपा, 1 पर जदयू व तीन पर राजद का कब्जा था। उपचुनाव में भाजपा को दो सीटों का नुकसान हुआ वहीं जदयू व कांग्रेस