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आजकल ये रुझान ज़्यादा है

आजकल ये रुझान ज़्यादा है ज्ञान थोड़ा बयान ज़्यादा है है मिलावट, फ़रेब, लूट यहाँ धर्म कम है दुकान ज्यादा है चोट दिल पर लगी, चलो, लेकिन देश अब सावधान ज़्यादा है दूध पानी से मिल गया जब से झाग थोड़ा उफ़ान ज़्यादा है पाँव भर ही ज़मीं मिली मुझको पर मेरा आसमान ज़्यादा है ये नई राजनीति है ‘VIDYA काम थोड़ा बखान ज़्यादा है

ये नेता चलिसा मेरे बड़े भईया पिंटू शर्मा जी ने लिखा है.

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ॐ जय जय नेता देवा ॐ जय जय नेता देवा ,,जो जन करते तुम्हारी सेवा ,,,क्लेश विकार उन्हें न होवे ,,सुख सम्पति चढ़ते सब मेवा ,,ॐ जय -जय नेता देवा ,भक्ति -भाव से करे जाप जो ,उनके कष्ट को हरते आप हो ,,जो जन उनको त्रास देत हैं ,,उनको आप श्राप देत हैं ,,,ऊँ जय जय नेता देवा ,मन क्रम बचन करे जो सेवा , चिरंजीव खावे नित मेवा ,,,, ॐ जय जय नेता देवा ,,आपकी महिमा जो नित गावै ,दस ग्रह ताहि निकट नहिं आवै ,,,,,,आप सोचते ग्रह दस क्या ह ै ,,नेता से डरते ग्रह सब हैं ,,,,शुक्र शनि भी बने अर्दली ,गुरु से मच गयी नयी खलबली ,, सोम और ,रवि गति न पावै जब तक नेत महात्म्य न गावै ,,//ॐ जय -जय नेता देवा ,,,,, मंगल , बुध शुद्ध तब होई जब नेता की अस्तुति होई ,, राहू ,केतु का औकात ,,जऊ नेता से पावहि पार ,,,,,ॐ जय जय नेता देवा ,,जन जन करता आपकी सेवा ॐ जय जय नेता देवा ,,,,ऊँ जय -जय नेता देवा ,,,,,,,