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राष्ट्रवाद की अवधारणा पर पटना काॅलेज मे हुआ संवाद

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 पटना। पटना काॅलेज में छात्र संगठनों ने संयुक्त पहल कदमी पर आज दूसरे दिन भी राष्ट्रवाद की अवधारणा पर संवाद हुआ।  काॅलेज के भाषा भवन की सीढ़ीयों पर बैठे छात्रों से आज पीयू के ईतिहास विभाग में वरीय प्राध्यापक रहे प्रो0 ओ0 पी0 जायसवाल रूबरू  हूए।  वही प्रेरण के सचिव हसन ईमाम ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया। प्रो0 ओ0 पी0 जायसवाल ने कहा कि 1857 के पहले देश छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था। 1857 में पहली बार एक स्वतंत्र राज्य की भावना के तहत देश में हर हिस्से में लोग संगठित हुए। उन्होेने कहा कि राष्ट्रवादी होने का दम्भ करते है सही मायने में वे राष्ट्रवादी नही रहे। वही नही आजादी-आंदोलन में दौरान आरएसएस के नेता बी डी सावरकर ने अग्रंेजो को चिट्टी लिख मुखाबिरी करने का भरोसा दिलाते हुए माफी मांगी थी। BEST TOP 10 MOBILE     उन्होने कहा कि इनका राष्ट्रवाद हिटलर और मुसोलिनी से प्रेरित था और इसको नजदीक से समझने के लिए आरएसएस विचारक इटली और जर्मनी गए भी लेकिन भातीय जनता ने जर्मनी और-इटली के बुरे अंत को देखते हुए नाकार दिया। मौके पर पटना काॅलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष शरदेंदु कुमार मौजुद थें।     

जेएनयू के बाद अब पटना विश्व विद्यालय में राष्ट्रवाद पर क्लास

जेएनयू के बाद अब पटना विश्व विद्यालय में राष्ट्रवाद पर क्लास छात्र संगठनों ने पटना काॅलेज में आयोजित ‘राष्ट्रवाद की अवधारणा’ पर संवाद पटना वि॰वि॰ के शिक्षक प्रो॰ विनय कंठ और प्रो॰ डेजी नारायण ने परिसंवाद में दिया वक्तव्य पटना 26 फरवरी:   आज पटना वि॰वि॰ में वामपंथी/जनवादी छात्र संगठनों आइसा, ए॰आई॰एस॰एफ॰, छात्र राजद, जन अधिकार छात्र परिषद्, छात्र राकांपा ने पटना काॅलेज परिसर में जे॰एन॰यू॰ की तर्ज पर पटना काॅलेज भाषा भवन के पास एक परिसंवाद का आयोजन किया। परिसंवाद का विषय था-‘राष्ट्रवाद की अवधारणा’ इस विषय पर पहले प्रो॰ विनय कंठ और प्रो॰ डेजी नारायण ने अपना वक्तव्य दिया, उसके पश्चात् परिसंवाद में शामिल छात्रों ने अपने प्रश्न पूछे।     वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रवाद एक निर्मित है, जो बहुत पुरानी नहीं है। भारत के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रवाद एक मुक्ति संघर्ष नीति स्वाधीनता संघर्ष के क्रम में निर्मित हुआ। राष्ट्रवाद के कई आयाम हैं, और यह सभी आयामों की समाहित करते हुए ही समृद्ध होता है। पर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के कारण इसे बहुत संकुचित रूप में प्रस्तुत कर रहे है