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रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर' ( २३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४ ) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया। जीवन परिचय दिनकर का जन्म २३ सितंबर १९०८ को सिमरिया, मुंगेर, बिहार में हुआ

अभिव्यक्ति : पटना में भी चिकित्सकों व जांच केन्द्रों के खिलाफ अभियान चलायें सांसद पप्पु

अभिव्यक्ति : पटना में भी चिकित्सकों व जांच केन्द्रों के खिलाफ अभियान चलायें सांसद पप्पु

पटना में भी चिकित्सकों व जांच केन्द्रों के खिलाफ अभियान चलायें सांसद पप्पु

पटना में भी चिकित्सकों व जांच केन्द्रों के खिलाफ अभियान चलायें सांसद पप्पु विद्या सागर मधेपुरा के सांसद पप्पु यादव ने चिकित्सकों व जांच केन्द्रों की फिस को लेकर जो मुहिम छेड़ा है वह वास्तव में स्वागत योग्य है। मैं सांसद के इस कदम का स्वागत करता हंु। डाॅक्टरों व जांच केन्द्रों के चक्की में आम लोग पीस रहे हैं। वैसे लोग जिनके पास इलाज कराने को पैसा नहीं है। पटना में किसी भी डाॅक्टर की फिस 500 रूपये से कम नहीं है। कोई भी बिमारी हो डाॅक्टर एक जांच तो जरूर लिखते हैं। डाॅक्टर जिस केन्द्र पर जांच कराने के लिए कहते हैं मजबूरी में मरीजों को वहां जांच कराने जाना पड़ता है। फिर शुरू होता है जांच केन्द्रों के भयादोहन का खेल। कोई भी जांच 500 रूपयेे से कम का नहीं होगा। सांसद के इस प्रयास को चाहिए की सरकार अपने स्तर से करे। निजी जांच केन्द्र पटना ही नहीं बल्कि पुरे बिहार में बिना पंजीयन के चल रहे है। ऐसे जांच केन्द्रो पर छापेमारी कर सरकार इसे बंद करे और उनके संचालकों को जेल भेजे। ताकि मध्यम व गरीब वर्ग के लोग इनके भैया दोहन से बचे। पटना में तो ऐसी स्थिती है कि निजी चिकित्सा केन्द्रों में ईलाज कर