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गुलामी का अध्यादेश है भूमि अधिग्रहण अध्यादेश - रुपेश कुमार

 गुलामी का अध्यादेश है भूमि अधिग्रहण अध्यादेश                                                                            -  रुपेश कुमार नववर्ष 2015 के बधाई स्वरूप 31 दिसंबर को मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून 2013 में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया । 2013 में तत्कालीन कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून जब बनाया था, तो उस समय भाजपा के भी सभी नेताओं ने सदन में इस कानून के पक्ष में कशीदे गढ़ने में कोई कमी नहीं की थी । दरअसल 2013 में इस कानून के बनने के पीछे देशवासियों के संघर्ष का महत्वपूर्ण योगदान था, हमारे देश में लगातार एक ऐसे भूमि अधिग्रहण कानून को बनाने के लिए विभिन्न जनसंगठनों व राजनीतिक दलों के जरिए भी आंदोलन होता रहता था, इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही 2013 का कानून बना था । अब सवाल उठता है कि प्रचंड बहुमत ;भाजपा की नजर मेंद्ध से आई मोदी सरकार ने फिर इसमें संशोधन की जरूरत क्यों समझी ? केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि ‘‘यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए कानून से हम सहमत थे और अभी भी हैं । हमने आ

सियासत में जिसे देखा वही मादा निकलता है

सियासत में जिसे देखा वही मादा निकलता है जिन्हे हम भीख देते हैें , वही दादा निकलता हेै सभी की देन दारी का तकादा ही निकलता है नेता से तो भारत का लवादा ही निकलता है ये मुर्दे भी अलग होने की हरदम बात करते हैं अब कब्रिस्तान के मुर्दे गढे आघात करते हैं ये गलती से उगी फसलें कितनी और काटेंगे भारत को ये लावारिस अब कितना और चाटेंगे इनका एक ही हल है ,बस खदेडो पाक में इनको जो ज्यादा करे हल्ला तो रक्खो ताक में इनको ये वो सांप हैे जो दूध पीकर जहर उगलते हेैं ये भी हम नही कहते, पूरी दुनिया को खलते हैं अभी तो दो चार पागल हैं इनका हल जरूरी है इन्हे जड से मिटाने की भी ये हलचल जरूरी हैे हिम्मत से करो निर्णय इन्हे जड से हटाने का बरसती आग कहती है, ये मौका हेै जलाने का।।

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आकर्षण काकेन्द्र बने सुनील

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आकर्षण काकेन्द्र बने सुनील

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आकर्षण काकेन्द्र बने सुनील भाजपा के प्रचार के लिए इस कार्यकर्ता ने बनाया अपना यह रूप दअपने पूरे शरीर को भाजपा के झंड़े के रंग से रंगा था  सेल्फी को लेकर रैली में हो रही थी काफी पूछ विद्या सागर पटना। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता समागम में दरभंगा के सुनील झा लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे। सुनील अपने पूरे शरीर को भाजपा के झंडे के रंग में रंगे थे। आधे शरीर को भगवा व आधे को हरे रंग से रंगे सुनील पार्टी के चुनाव चिह्न कमल निशान को छाती पर बनवाये हुए थे। माथे पर भाजपा लिखवाये हुए थे। वहीं छाती पर नमो भारत नमो लिखे हुए थे। पीठ पर मोदी सेना, जय-जय बिहार भाजपा सरकार के नारे लिखे थे। पूरे कार्यकर्ता समागम के दौरान पंडाल में सबसे आगे पार्टी का झंड़ा सुनील बुलंद कर रहे थे। इनका जलवा भी समागम में कम नहीं दिखा। फेसबुक व व्हाट्स्एप के शौकीन भाजपा नेता व कार्यकर्ता सुनील के साथ सेल्फी खिंचवाने को उतावले थे। फोटो के लिए सुनील के पास लाइन लगी थी। समागम से सुनील बाहर निकले तो सड़क पर भाजपा नेताओं व गांव-गांव से आये कार्यकर्ताओं की नजर उनकी ओर गयी। फिर क्या था सड़क पर भी सुनील

मोगालते में नहीं रहे सरकार: संयुक्त वाम मोर्चा

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मोगालते में नहीं रहे सरकार: संयुक्त वाम मोर्चा पटना। संयुक्त वाम मोर्चा द्वारा 11 अप्रैल को बिहार विधानसभा के समक्ष एक दिवसीय भुमि अधिग्रहण अध्यादेष, वाम जनवादी एवं लोकतांत्रिक आंदोलनों तथा आंदोलन से जुड़े सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर राजकिय दमन व फर्जी मुकदमा कर जेल भेजने के खिलाफ, हडि़याही(बटाने) नहर परियोजना सहित सरकार प्रायोजित योजनाओं में लुट के खिलाफ, धान क्रय एवं केसीसी में मनमानी एवं फर्जीवाड़ा के खिलाफ, छापेमारी के नाम पर पुलिस द्वारा आम जनता एवं महिलाओं के साथ अषलील हरकत करने के खिलाफ धरना दिया गया। धरना की अध्यक्षता मोर्चा के संयोजक आलोक कुमार एवं संचालन विनोद पाठक ने किया। धरना को संबोधित करते हुए मोर्चा के धटक संगठन के नेताओं ने कहा कि सरकार मोगालते में है और इनके मषीनरी के रूप में कार्य कर रहे पुलिस, प्रषासन व अधिकारी जनविरोधी व कानून विरोधी कार्यो में लिप्त हैं तथा सरकार के इषारे पर न सिर्फ जनआंदोलनों को कुचल रही है बल्कि भुमि अधिग्रहण अध्यादेष जैसे कई काले कानुन का निमार्ण धड़ल्ले से कर रही है जिसे मोर्चा कतई बर्दास्त नहीं करेगी। वक्ताओं ने कहा कि सरकार एक इस

पटना विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की हड़ताल के चलते परीक्षाएं टलीं

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पटना विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की हड़ताल के चलते परीक्षाएं टलीं   पटना। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पटना विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित परीक्षाओं को अगले आदेश तक के लिए टाल दिया गया है। कुलपति प्रोफेसर वाइसी सिम्हाद्री ने उक्त जानकारी दी। कुलपति की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में सभी प्रचार्यों और डीन की उपस्थिति में उक्त निर्णय लिया गया। आठ अप्रैल से स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षाएं शुरू होने वाली थी। उक्त निर्णय का असर प्रायोगिक परीक्षाओं पर भी पड़ेगा। कर्मचारी वर्षों से लंबित प्रमोशन, ग्रेड-पे सहित 32 मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।