"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर


"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर
दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गँवा कर
जब अन्त समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं"
इन चार पँक्तियों में सीमित एक सैनिक की असीमित ज़िन्दगी को निभाने वाले तमाम कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि। कई लड़े, कई घायल हुए, कई शहीद हुए - लेकिन सब जीते, देश जीता, भारत जीता। कारगिल विजय दिवस की शुभकामनाएं।

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