पटना काॅलेज में बदाल है बाॅस्केट बाॅल का कोट

पटना काॅलेज में बदाल है बाॅस्केट बाॅल का कोट

रख रखाव के अभाव में टुट रहा है बाॅस्केट पोल, कोट में जमा है बारिश का पानी

विद्या सागर
पटना (एसएनबी)।
खेल का दर्जा यहां भगवान जैसा है, खेल मैदान यहां शमसान जैसा है। जी हां पटना काॅलेज के बाॅस्केट बाॅल ग्राउंड का यही हाल है। कमेटी खिला़िडयों से गुलजार रहने वाला यह खेल मैदान आज सुना प़डा है। वर्षो पहले इस मैदान में काॅलेज के छात्रों को बाॅस्केट बाॅल खेलने का प्रशिक्षण दिया था। पटना काॅलेज ही नहीं पटना विश्वविद्यालय के दूसरे काॅलेज के छात्र भी यहां बाॅस्केट बाॅल का प्रशिक्षण लेते थे। छात्र-छात्राएं यहां बाॅस्केट बाॅल का अभ्यास करने प्रतिदिन आते थे। काॅलेज के कर्मचारी जीतू ने बताया कि वर्ष 2003-2004 के आसपास तक बाॅस्केट बाॅल ग्राउंड में छात्र खेलने आते थे। काॅलेज के पीटी छात्रों को इसका प्रशिक्षण देते थे। धिरे-धिरे बाॅस्केट बाॅल के तरफ से पीटी और छात्रों का ध्यान हट गया।
काॅलेज की स्पो्ट्र्स कमेटी कराती थी खेलों का आयोजन
काॅलेज में वर्षो पहले स्पो्टर्स कमेटी होती थी। जिसका सचिव छात्र होते थे। काॅलेज के ही सेंट्रल काॅमन रूम में स्पोट्र्स सचिव का कार्यालय होता था। इस कमेटी की जिम्मेवारी काॅलेज में खेलों का आयोजन कराना होता था। कमेटी के पास फंड भी होता था जिससे खेल मैदान व खेल समाग्री की खरीद होती थी। काॅलेज में प़ाढ़ने के साथ बहेतर खेल का माहैल हुआ करता था। अब न तो स्पोट्र्स कमेटी के सचिव का चुनाव होता है। ना ही खेलों का आयोजन। बाॅस्केट बाॅल ग्राउंड भी इसी का दंश झेल रहा है। ग्राउंड में बाॅस्केट भी नहीं है। जिससे की छात्र स्वंय बाॅस्केट बाॅल खेल सकें। बाॅस्केट पाॅल भी अब देख रेख के अभाव में टुट रहा है। काॅलेज के छात्र व बाॅस्केट बाॅल के खिलाड.ी अभिजीत कुमार ने बताया कि काॅलेज प्रशासन कैम्पस में खेल के माहैल को पुनः जीवत करने का प्रयास भी नहीं कर रही है। अब तो इस ग्राउंड में बाहरी ल़डके क्रिकेट खेलते हैं। इस संबंध में काॅलेज के प्राचार्य प्रो. नवल किशोर चैधरी ने कहा कि ग्राउंड में बाहरी का कब्जा है। बाहरी लड़के यहां आकर खेलते हैं। कैम्पस में पुलिस पीकेट है लेकिन शिकायत करने पर कोई कार्रवाइ नहीं करती। उन्होंने कहा कि काॅलेज में पढ़ाई की व्यवस्था करने के बाद खेल पर ध्यान दिया जायेगा।

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