‘दिल्ली फूलों में बसी, ओस कणों से भींगी’

‘दिल्ली फूलों में बसी, ओस कणों से भींगी’

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 108 वीं जयंती पर पटना कॉलेज  में समारोह संपन्न
विद्या सागर
पटना।
‘‘दिल्ली फूलों में बसी, ओस कणों से भींगी, दिल्ली सुहाग है, सुषमा है, रंगीनी है। प्रेमिका कंठ में पडी मालती की माला, दिल्ली सपनों की सेज मधुर रस-भीनी है’’। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की भारत की यह रेशम नगर कविता की पंक्तियों से पटना कॉलेज का सेमिनार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजउठा। दिनकर जी की 108 वीं जयंती पर पटना कॉलेज के हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा कॉलेज के सेमिनार हॉल  में आयोजित समारोह में उक्त पंक्तियों का पाठ मुख्य अतिथि हिन्दी के वरिष्ठ कवि डॉ  केदारनाथ सिंह ने किया। डॉ सिंह ने दिनकर जी की कविताओं के कुछ विरल गुणों की ओर ध्यार्ण आकृष्ट कराया। उन्होंने राष्ट्रकवि के जीवन से जुड़े कुछ संस्मरण भी सुनाएं। दिनकर जी द्वारा रचित कविता ’‘भारत की यह रेशम नगर’’ और ‘चांद का कुत्ता ’ की पंक्तियों का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के आलोचक डॉ  नंदकिशोर नवल ने की। पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. बलराम तिवारी ने राष्ट्रकवि के पौरूष, प्राक्रम, श्रंगार रस आदि भावनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रो. जावेद अख्तर ने भी दिनकर जी की कविताओं का पाठ किया। युवा कवि राकेश रंजन ने अपनी कविताएं सुनाई। अध्यक्षता करते हुए हिन्दी के आलोचक डॉ  नंदकिशोर नवल ने दिनकर जी की कविताओं पर विसतार से प्रकाश डाला। आगत अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नवल किशोर चैधरी ने स्वागत भाषण से किया। वहीं कॉलेज की ओर से मुख्य अतिथि डॉ  केदारनाथ सिंह का सोल  एवं मोमेंटो देकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के शिक्षक तरूण कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पटना कॉलेज हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शरदेंदु कुमार ने किया।

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