कोचिंग संस्थानों के जाल में फंस रहे छात्र विद्या सागर

कोचिंग संस्थानों के जाल में फंस रहे छात्र

 

विद्या सागर
पटना। जमाना विज्ञापन और मार्केटिंग का है। विज्ञापन व मार्केटिंग के महत्व को राजधानी के कोचिंग संस्थानों ने अच्छी तरह समझ भी लिया है। इसी वजह से वे अपने अजीब स्लोगनों से छात्रों को दिग्भ्रमित करते हैं। अशोक राजपथ, बोरिंग रोड, राजाबाजार, बाजार समिति इलाके में कोचिंग संस्थानों का जाल फैला हुआ है। इन इलाकों में जिधर नजर जाती है, कोचिंग संस्थानों के अजब-गजब विज्ञापन दिख जाते हैं। सबकी अपनी पंचलाइन है। कोई तीन महीने में धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलना सीखा रहा है, तो कोई ढाई महीने में गधे को पीओ बनाने की गारंटी दे रहा है। विज्ञापनों में चयन नहीं होने पर मनी बैक तक की गारंटी भी दी जा रही है। एक स्लोगन पर गौर करें। ‘हीरोशिमा शहर जो उड़ा दे, उसे परमाणु कहते हैं, गधे को भी जो ढाई महीने में पढ़ा कर बैंक पीओ बना दे उसे ..कहते हैं’। पटना विवि के समीप स्थित एक कोचिंग संस्थान इसी अंदाज में बेरोजगार छात्रों को बैंक पीओ बनाने का दावा करता है। कोचिंग प्रबंधन से जब इस संवाददाता ने बात की तो उनका कहना था कि उनका संस्थान पीओ बनाने की गारंटी देता है। यदि बैंक पीओ में चयन नहीं हुआ तो प्रबंधन पैसे वापस कर देता है। कोचिंग संस्थानों के दावे बड़े-बड़े होते हैं। कोई लिखता है केमेस्ट्री मतलब ..सर। केमेस्ट्री व .. शिक्षक एक दूसरे के पर्याय हैं। इसी तरह कई कोचिंग वाले अपने यहां के शिक्षक को किसी खास विषय का पर्याय बताकर प्रोजेक्ट करते हैं। गांव या दूर दराज के शहरों से आने वाले छात्र इन लुभावने व भारी भरकम दावों की सच्चाई जाने बगैर उनके चंगुल में फंस जाते हैं।

’यहां गधे भी बनते हैं पीओ‘ जैसे विज्ञापनों से फंसाए जाते हैं छात्र

तीन महीने में धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलें अच्छी अंग्रेजी बोलना लगभग हर बिहारी छात्र की सबसे बड़ी चाह होती है। सरकारी नौकरी न मिले तो निजी नौकरियों के साक्षात्कार में फटाफट अंग्रेजी बोलना जल्द मौके दिलाता है। राजधानी में दर्जनों कोचिंग संस्थान छात्रों की इस चाहत का दोहन करते हैं। दावा तीन महीने में धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलना सिखाने का किया जाता है। अंग्रेजी बोलने की ललक में हिंदी माध्यम के बच्चे इनके आसान शिकार बनते हैं। छात्र भी बिना सोचे-समझे उनके चंगुल में फंस जाते हैं। ग्रामीण परिवेश से आकर पटना में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की अंग्रेजी थोड़ी कमजोर होती है, इसलिए धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलना सिखाने वालों का धंधा जोरशोर से चल रहा है। यह बात अलग है कि चंद महीने में धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलना सिखाने का दावा करने वालों को खुद तोड़-मरोड़ कर अंग्रेजी बोलते हैं।

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