पेरिस में शार्ली एब्डो पत्रिका के दफ़्तर पर हमले में 12 लोगों की हत्या के बाद दुनियाभर में लोगों ने कार्टून बनाकर रोष जताया है.
मरने वाले पत्रकारों के लिए लोग सड़कों पर उतरे और उनके समर्थन में चित्र हाथों में लेकर खड़े दिखे.
फ़्रांस
के वाणिज्य दूतावास के सामने कई समर्थकों ने मारे गए लोगों के समर्थन में
पेंसिल पर केंद्रित कई चित्र दिखाकर अपने दुख और हिम्मत का मुज़ाहिरा किया.
तस्वीर में जहां हमलावर को बंदूक़ ताने दिखाया गया है, वहीं एक व्यक्ति को पेंसिल ताने दिखाया गया है.
एक महिला बहुत ही सरल चित्र हाथ में लिए खड़ी दिखी, जिसमें बंदूक़ का मुक़ाबला पेंसिल कर रही है.
अर्जेंटिना में फ़्रांसीसी दूतावास के बाहर लटकी यह कार्टूननुमा तस्वीर कार्टूनिस्ट की हत्या पर विरोध दर्ज करती दिखी.
लोगों ने न सिर्फ़ सरकारी दफ़्तरों के बाहर कार्टून लगाए बल्कि अमरीका तक में लोगों ने चित्रों के ज़रिए अपनी भावनाएं बयां कीं.
कैलीफ़ॉर्निया में चित्र के ज़रिए मरने वाले पत्रकारों के लिए अपनी संवेदना व्यक्त करती महिला
चरमपंथियों द्वारा मारे गए पत्रकारों को लोगों ने कुछ ऐसे दी श्रद्धांजलि.
लोगों
ने न सिर्फ़ काग़ज़ पर अपनी संवेदनाओं का इज़हार किया बल्कि चरमपंथियों की
गोली का निशाना बने पत्रकारों के समर्थन में क़लम पकड़े भी दिखाई दिए.
भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान 11 अगस्त को शहीद हुए थे जगतपति कुमार समेत आजादी के सात मतवाले, ० ताजा हुई थी खुदीराम बोस के शहादत की याद, ० वीरता का बखान रहा है पटना का शहीद स्मारक विद्या सागर पटना । तारीख 11 अगस्त 1942, स्थान पटना सचिवालय, समय भरी दोपहरी, भारत माँ को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने को मतवाले युवाओं की टोली, तिरंगे को फहराने का इरादा लिए जैसे ही पहुंची, वैसे ही बर्बर ब्रिटिश हुकूमत की बंदूकों से गोलियां उगल पड़ी और देखते ही देखते सात नौजवान देश की आजादी की बलिवेदी पर शहीद हो गए लेकिन शहीद होते-होते इन्होने हिंदोस्तान की आन-बान-शान तिरंगे को फहरा डाला। इन नौजवानों की शहादत के साथ ही 11 अगस्त 1908 की उस घड़ी की यादें ताजी हो गई जब मुज्जफरपुर जेल में इसी आततायी ब्रितानी सरकार ने जंग ए आजादी के दीवाने क्रांतिकारी खुदीराम बोस को फांसी के तख्त पर लटका दिया गया था। इन शहीदों का नाम आज भी सारा देश इज्जत के साथ लेता है और पटना सचिवालय पर तिरंगा लहराने वाले सात शहीदों के शहादत की वीरगाथा का बयान पटना में वर्तमान पुराना सचिवालय के पास स्थित शहीद स्मारक ...
आज के दिन शहीद हुए थे आजादी के सात मतवाले जगतपति कुमार समेत सात नौजवान सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान हुए थे शहीद ताजा हुई खुदीराम बोस की शहादत की याद वीरता का बखान कर रहा है पटना का शहीद स्मारक विद्या सागर पटना। तारीख 11 अगस्त 1942। स्थान पटना सचिवालय। समय भरी दोपहरी, भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने को मतवाले युवाओं की टोली, तिरंगे को फहराने का इरादा लिए जैसे ही पहुंची, वैसे ही बर्बर ब्रिटिश हुकूमत की बंदूकों से गोलियां उगल पड़ी और देखते ही देखते सात नौजवान देश की आजादी की बलिवेदी पर शहीद हो गए। शहीद होते-होते इन्होने हिंदोस्तान की आन-बान-शान तिरंगे को फहरा डाला। शहीदों का मंगलवार को 73 वां शहादत दिवस है तथा इस अवसर पर उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ याद किया जायेगा। इन नौजवानों की शहादत के साथ ही 11 अगस्त 1908 की उस घड़ी की यादें ताजी हो गई जब मुज्जफरपुर जेल में इसी आततायी ब्रिटिश सरकार ने जंग ए आजादी के दीवाने क्रांतिकारी खुदीराम बोस को फांसी के तख्त पर लटका दिया गया था। इन शहीदों का नाम आज भी सारा देश इज्जत के साथ लेता है और...
अपने समाज में कई तरह की सामाजिक बुराईयां व्याप्त है। नशा व दहेज आज समाज का कोढ़ बनगया है। आप अपने आसपास हीं नजर दौड़ाएंगे तो इसके कई उदाहरण आपको देखने को मिलजाएंगे। नशे के लत से जहां लोगों के घर बर्बाद हो रहे हैं, वहींदहेज की आग में कई परिवार टूट रहे हैं। इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कानून तोबना है लेकिन समाज में जागरुकता की कमी से यह आज भी समाज को खोखला कर रहा है। समाजमें आज इन बुराइयों के खिलाफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रापर निकले हैं। यूं तो इस यात्रा की विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं लेकिन नीतीशकुमार के इस यात्रा का मकसद समाज सुधार की दिशा में एक उत्साही पहल है। आज समाज में इन मुद्दों पर बोलने वाला और काम करने वाला कोई नहींहै। एक समय था जब अपने समाज में समाज सुधारक के साथ नेता भी उनता ही सक्रिये थे जोसामाजिक बुराईयों पर खुलकर बोलते थे, उसके खिलाफसमाज में जागरुकता लाने के लिए कार्य करते थे। धीरे-धीरे समाजमें ऐसे लोगों की कमी होती गई और आज इक्का दूक्का लोग ही ऐसे हैं जो इन विषयों पर कामकर रहे हैं। ऐसे समय में जब आज बिहार नीति आयोग द्वारा जारीकई मानकों में पीछे...
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