संदेश

फ़रवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बजट से मध्य वर्ग को मिली मायूसी

चित्र
बजट से मध्य वर्ग को मिली मायूसी नई दिल्ली। मोदी सरकार के पहले बजट से मध्य वर्ग को मायूसी हाथ लगी है। जहां लोग आय कर में छूट को युक्ति संगत बनाने या उसमें कटौती की उम्मीद कर रहे थे। वहीं, सरकार ने सर्विस टैक्स में बढोतरी कर दी है। अब आम आदमी के रोजमर्रा की सारी चीजें महंगी हो जाएंगी। मोदी सरकार ने पहली बार मुकम्मल बजट पेश किया है। यह बजट न सिर्फ साल 2015-16 के लिए है, बल्कि यह सरकार के अगले पांच सालों का विजन भी प्रस्तुत करता है। रेल बजट की तरह यहां भी मोदी सरकार लोकलुभावन घोषणाओं और वादों से बचती नजर आई। टैक्स छूट की टूटी आस मध्य वर्ग को बजट के दिन सबसे ज्यादा उम्मीद इस बात की होती है कि उसके रोजमर्रा की कौन सी चीजें सस्ती होंगी या किन चीजों के दाम बढ़ेंगे। टैक्स छूट सीमा कितनी बढ़ेगी, क्योंकि महंगाई तो दिनबदिन बढ़ती जा रही है तो टैक्स की दरों का भी उस हिसाब से युक्तिसंगत होना जरुरी है। लोगों के मन में कहीं यह आस भी होती है कि शायद टैक्स में कुछ छूट मिल जाए। कम से कम महिलाओं को तो कुछ विशेष छूट मिलेगा, ऐसा लोग मानकर चलते हैं। लेकिन इस बजट में इ

राज्यपाल का निर्णय अमर्यादित और असंवैधानिक

चित्र
राज्यपाल का निर्णय अमर्यादित और असंवैधानिक पटना। नीतीश कुमार का समर्थन कर रहे चार दलों ने रविवार को राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर राज्यपाल के निर्णय को अमर्यादित और असंवैधानिक करार दिया और कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल आरएसएस की लठगीरी कर रहे हैं। सारा खेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर हो रहा है। जदयू, राजद, कांग्रेस और भाकपा के नेताओं ने कहा कि राज्यपाल तत्काल मुख्यमंत्री के निर्णयों और घोषणाओं पर रोक लगाएं, क्योंकि राज्य का खजाना लुटाने के लिए नहीं होता। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि राज्यपाल विधायकों की परेड का मजाक उड़ा रहे हैं। नीतीश कुमार को तत्काल बहुमत साबित नहीं करने देने का उनका फैसला अमर्यादित है। राज्यपाल कह रहे हैं कि नीतीश कुमार उतावलापन दिखा रहे हैं। अपनी राजनीति चमकाने के लिए बयान दे रहे हैं, छटपटा रहे हैं। यही भाषा भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी भी बोल रहे हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलने के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जो बयान दिया था, वैसा ही बयान राज्यपाल दे रह

वेलेंटाइन डे और भगतसिंह को फाँसी की सजा का संघी कुत्साप्रचार

चित्र
वेलेंटाइन डे और भगतसिंह को फाँसी की सजा का संघी कुत्साप्रचार   वेलेंटाइन डे और भगतसिंह- शहीद भगतसिंह की विचारधारा से संघ आज भी खौफ खाता है पिछले कुछ वर्षों से वेलेंटाइन डे के दिन संघ अपने परम्परागत तरीके मार पिटाई के अलावा विरोध का एक ओर तरीका प्रयोग में ला रहा है। उसने इस दिन को किसी ओर दिन के रूप में पेश करने की भी कोशिश शुरू कर दी है। संघ के कुछ लोग इस दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने की वकालत करते हैं तो कुछ ये प्रचार कर रहे हैं कि इस दिन 1930 में शहीद भगतसिंह और उनके साथियों को फाँसी की सजा सुनाई गई थी। शुरूआती कुछ सालों में तो ये बेशर्मी से इसी दिन को भगतसिंह को फाँसी की सजा देने की तारीख बताते थे पर बाद में इनका ये झूठ जब चला नहीं तो इन्होने ये प्रचार चालू किया कि इस दिन उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। इतिहासबोध से रिक्त मध्यम वर्ग के बीच इस प्रचार का अच्छा खासा प्रभाव भी हो चुका है। यहां तक कि एक अख़बार राजस्थान पत्रिका ने तो बाकायदा इसको एक बड़ी सी तस्वीर के साथ शेयर किया है। जैसी की आशा थी, उस पोस्ट को लाखों लाइक और शेयर भी मिल गये। हकीकत ये है कि भगतसिंह के केस

छह लाख आय पर बच्चों को तकनीकी शिक्षा मुफ्त

चित्र
छह लाख आय पर बच्चों को तकनीकी शिक्षा मुफ्त एआईसीटीई ने 2015-16 के सत्र से लागू किया बदलाव कमजोर आय वर्ग के लिए आरक्षित पांच फीसदी सीटों पर मिलेगा लाभ  एआईसीटीई को ही तकनीकी कॉलेजों की मान्यता का अधिकार विद्या सागर पटना। कमजोर आय वर्ग के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के नि:शुल्क दाखिले के लिए आरक्षित पांच फीसदी सीटों पर आय सीमा बढ़ा दी गई है। सालाना छह लाख रुपये आय वाले अभिभावकों के बच्चे भी अब इंजीनियरिंग समेत अन्य तकनीकी कोसोर्ं की निशुल्क पढ़ाई कर सकेंगे। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजूकेशन (एआईसीटीई) ने इस नियम को आगामी सत्र 2015-16 से लागू कर दिया है। इस प्रावधान के तहत सत्र 2014-15 तक 4.5 लाख रुपये सालाना आय वाले अभिभावकों के बच्चों को मौका मिलता था। आर्यभट्ट ज्ञान यूनिवर्सिटी बिहार से जुड़े दर्जनों कॉलेजों के छात्रों को निशुल्क पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। दरअसल, एआईसीटीई से संबद्ध इंजीनियरिंग, आर्किटेर, फाम्रेसी, होटल मैनेजमेंट और फैान डिजाइन के पाठक्रमों में पांच फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए आरक्षित हैं। प