मदनपुर गोलीकांडः खौफ का मंजर, गांवों में पसरे सन्नाटे






विद्या सागर
पटना।
ये तस्वीरें बता रही है गांव में सन्नाटा पसरा है। गांव की हाल जानने वाला कोई यहां नहीं है। गांव की गलियों में कोई नजर नहीं आ रहा। गलियों में पसरा संन्नाटा जरूर कुछ कह रहा है। यह तस्वीर बिहार के अतिनक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के धनी पहाडियों के बीच बसा कनौदी गांव का है। जहाँ खौफ और आतंक के साये स्पष्ट दिख रहे है गाँव में पुलिसिया बर्बरता की कहानी यहाँ आकर देखा और समझा जा सकता है। २५ घरो की आबादी वाली इस बस्ती में चारो ओर सन्नाटा पसरा हुआ है क्योकि आज यहाँ बूढे़, महिलायें और बच्चो को छोड़कर सारे लोग गंाव से पलायन कर गए है इसका कारण है दर्द और जुल्म का अतीत जो इन्हे गांव छोडने पर मजबूर कर दिया। दरअसल इस गांव के लोग बीते शनिवार 19 जुलाई को मदनपुर में  अपने गांव के कुछ परिवार को पुलिस द्वारा नक्सली के नाम पर पिटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने गये थे। वहां प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस ने गोलियों की बैछारें की। आंशु गैस के गोले दागे, इस गांव के मासूम की जान गयी। गोलीकांड में मारी गई कलावती देवी का भी यही गांव है। महिलाओ ने बताया की दो दिनों पूर्व पुलिस वाले नक्सलियों की टोह में यहाँ आये थे और गांव के ही एक युवक को नक्सली का समर्थक होने का आरोप लगा कर पिटाई करने लगे और जिसने भी इसका विरोध किया उनकी भी पिटाई की गयी। पुलिसवालों ने महिलाओ तक को नहीं बख्शा पुलिस की ज्यादती से उग्र हो ग्रामीण जब विरोध में उतरे तो पुलिस भाग निकली। दूसरे दिन पहुंची सीआरपीएफ ने सारी कमी पूरी कर दी। इस जुल्म के खिलाफ आस पास के ग्रामीण गोलबंद हुए और न्याय की आस लेकर मदनपुर थाने पहुंचे परन्तु यहां भी पुलिस के आगे उनकी एक न चली और वहाँ उन्हें खदेड़ दिया गया। जिसके विरोध में लोगों ने एन एच-2 को जाम कर दिया और वही इस भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए है जिनके द्वारा बीडीओ कार्यालय , अंचल कार्यालय। इंस्पेकटर कार्यालय और मनरेगा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया। भीड़ देखकर पुलिस ने ग्रामीणो को खदेड़ने के लिए फायरिंग कर दी , जिसमे 2 लोगो की मौत हो गई और पांच लोग घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने 7 प्राथमिकियो में कनौदी एवं उसके आसपास के गाँव के सभी ग्रामीणो को अभियुक्त बना प्राथमिकी दर्ज कर दिया है। जिससे गाँव के परूषो का एक बड़ा समाज पुलिसिया डर से गाँव से पलायन कर चूका है। गाँव के महिलाये और बच्चे पुलिसिया खौफ के साये में जीने को मजबूर है। महिलाओ ने आगे कहा की पुलिस और नक्सली दोनों के बीच चक्की में पीस रहे है।

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