सोना के भाव बिकेगी धान की भूसी
सोना के भाव बिकेगी धान की भूसी
औरंगाबाद। औरंगाबाद जिले के किसान एवं राइस मिल मालिकों की हालत बदलने वाली है। औरंगाबाद
के जसोइया स्थित औद्योगिक परिसर में सीहाक एग्रो फैक्ट्री के बाद गुरुवार
को बारुण में सौर ऊर्जा एवं बायोमास के संयुक्त बिजली संयत्र का निर्माण
शुरू होने से किसान एवं राइसमिलरों में आस जगी है। अब तक धान की भूसी का
जलावन में हो रहे उपयोग की जगह बिजली बनाने में किया जाएगा। बिजली संयत्र
का निर्माण कार्य कर रही कंपनी सी स्टेप के कार्यपालक निदेशक डा. अंशु
भारद्वाज ने बताया कि बायोमास के बनाने में धान की भूसी एवं चावल का छिलका
का उपयोग किया जाएगा। कोयला एवं पानी की कमी, ग्लोबल वर्मिग, प्रदूषण को
देखते हुए सोलर बायोमास थर्मल पावर के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।
बायोमास के माध्यम से रात्रि में भी बिजली का उत्पादन होगा। बायोमास में
उपयोग होने वाली धान की भूसी एवं चावल का छिलका जिले के अलावा दूसरे जिले
के किसान एवं राइस मिल मालिकों से लिया जाएगा। सीहाक एग्रो के एमडी
रजनीकांत राय ने बताया कि फैक्ट्री में रिफाइन का रा मैटेरियल तैयार किया
जाता है। यह मैटेरियल चावल का छिलका से तैयार होता है। ब्यालर में धान की
भूसी का उपयोग किया जाता है। औरंगाबाद के अलावा बगल के जिलों से भूसी एवं
ब्रान लिया जाता है। बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता रामप्रवेश शर्मा ने
बताया कि बारुण में बन रहे सौर ऊर्जा बायोमास के संयुक्त पावर प्लांट से
काफी फायदा होगा। प्रथम दौर में करीब तीन मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा
जिससे 100 केवीए का करीब 30 ट्रांसफार्मर का संचालन होगा।
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