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जुलाई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

३१ जुलाई- शहीद उधमसिंह की 74 वी शहादत दिवस पर विशेष

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३१ जुलाई- शहीद उधमसिंह की 74 वी शहादत दिवस पर विशेष   शहीद उधमसिंह को आज ही के दिन १९४० में फांसी दी गई थी। जलियां वाला बाग काण्ड के २१ वर्ष बाद उन्होने जनरल डायर को कैक्सटन हाल लन्दन में गोली से उडाकर नरसंहार का बदला लिया था। पहले से स्पष्ट कर दिया जाए कि यह वो डायर नहीं था जिसने जलियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश दिया था। १३ ्प्रैल १९१९ को सायं ५.१५ बजे जब पं.दुर्गादास सभा को सम्बोधित कर रहे थे और हंसराज जी पास ही थे,उस समय शूटिंग का आदेश हुआ और पांच हजार की भीड में से लगभग १५०० लोग जिनमें बच्चे बूढे,मर्द औरते सभी शामिल थे,मारे गए। अमृतसर के कसाई के नाम से कुख्यात इस खलनायक का नाम रैजनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर था। इसका जन्म भारत में ही १८६४ में रावलपिण्डी के निकट पीरपंजाल की पहाडियों में मुरी नामक स्थान पर हुआ था। इसका बचपन शिमला में बती। जब ये लगभग १५ वर्ष की उम्र में लन्दन पढने गया तो वहां इसके साथी इसे ब्लडी इंडियन कहकर पुकारते थे और वैसे भी अभिजात्य अंगे्रजी समाज में इसके परिवार की इज्जत नहीं थी। अत: ये भारतीयों से दिली नफरत करता था। उधमसिंह ने हत्या का मंजर अपनी आंखों...

प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

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हम पत्रकारों के प्रेरणा श्रोत मुंशी प्रेमचंद को सतसत नमन प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

प्रेमचंद जयंती पर विशेष-

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  हम पत्रकारों के प्रेरणा श्रोत मुंशी प्रेमचंद को सतसत नमन    प्रेमचंद जयंती पर विशेष- प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था तथा पिता मुंशी अजायबराय लमही में डाकमुंशी थे।[5] उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी से हुआ और जीवनयापन का अध्यापन से। पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही लग गया। 13 साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्मे होशरूबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिरजा रुसबा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया[6]। १८९८ में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी १९१० में उन्‍होंने अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इंटर पास किया और १९१९ में बी.ए.[7] पास करने के बाद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो जाने के कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा।[8] उनका पहला विवाह उन दिनों क...

The village of martyrs suffered the brunt of official apathy

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Vidya sagar Patna. July 26, 1999 the day had brought glory to the country when the whole world in front of a trumpet be blown victory. The day was organized by the Indian Army during the Kargil war 'Oprsen Vijay India through the successfully executed was freed from the clutches of intruders. Bihar integrated in the Kargil war for the defense of the country laughs the 18 men had their martyrdom. Integrated Bihar Bihar and Jarkhandwasi after splitting proud of his martyrdom each year. But the families of these martyrs is getting worse day by day. After the war the then Atal Bihari Vajpayee government at the Centre martyr's family at the time of the economic, social condition, petrol pump repair, cooking gas and kerosene agency had promised. The then Lalu - Rabri his sympathies to the bereaved families to express Facilities announce the official said. Udashinta taken up with time due to government economic and social situation of families of martyrs day - the d...

"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर

"थी ख़ून से लथ-पथ काया, फ़िर भी बन्दूक उठा कर दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गँवा कर जब अन्त समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं" इन चार पँक्तियों में सीमित एक सैनिक की असीमित ज़िन्दगी को निभाने वाले तमाम कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि। कई लड़े, कई घायल हुए, कई शहीद हुए - लेकिन सब जीते, देश जीता, भारत जीता। कारगिल विजय दिवस की शुभकामनाएं।

लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन, दरभंगा में रोकी ट्रेन

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प्रदर्शन करते एआईएसएफ के सदस्य विद्या सागर पटना. गुरुवार को छात्रों के विधानसभा मार्च के दौरान पुलिस के लाठी चार्ज के विरोध में छात्र संगठनों ने शनिवार को पूरे राज्य में चक्का जाम की घोषणा की। राज्य भर में इस आंदोलन का व्यापक असर दिखा। शनिवार को सुबह से ही छात्र संगठनों के जाम के कारण कई शहरों में पब्लिक को फजीहत झेलनी पड़ी। छात्र लाठीचार्ज के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वहीं छात्रों ने दरभंगा रेलवे स्टेशन पर नई दिल्ली सुपर फास ्ट ट्रेन को भी रोक दिया था। राजधानी में तीन मेगा ब्लॉक छात्र संगठनों के इस बंद का मुख्य असर तीन मार्गों पर रहा। इसमें पटना विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर छात्रों ने सबसे अधिक देर तक रास्ता बंद रखा। यहां रास्ता साफ कराने को लेकर पुलिस और छात्रों के बीच झड़पें भी हुई। दूसरी ओर चक्का जाम की शुरुआत अनीसाबाद से हुई जहां देर तक छात्रों ने जाम लगाए रखा। इस संबंध में एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि हमारी मांगों पर कार्रवाई तो दूर कोई सुन भी नहीं रहा है। शांति मार्च के दौरान पुलिस का रवैया...

सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे शहीदों के गांव

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  विद्यासागर  पटना। 26 जुलाई 1999 का दिन देश के लिए एक ऐसा गौरव लेकर आया था जब सारी दुनिया के सामने विजय का बिगुल बजाया। इस दिन भारतीय सेना ने करगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरशेन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। कारगिल युद्ध में एकीकृत बिहार के 18 जवानों ने देश की रक्षा के लिए हंसते हुए अपनी शहादत दी थी।एकीकृत बिहार के बटवारे के बाद बिहार और झारखंडवासी उनके शहादत पर हर वर्ष गर्व महसूस करते हैं। लेकिन इन शहीदों के परिवार वालों की स्थित दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। युद्ध के बाद तत्कालिन केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उस वक्त शहीद के परिवार के आर्थिक, सामाजिक हालत सुधार के लिए पेट्रोल पंप, कुकिंग गैस और कैरोसीन एजेंसी देने का वादा किया था। तत्कालिन लालू-राबड़ी सरकार ने भी शहीदों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए सरकारी सुविधाएं देने की धोषणा की थी। वक्त बितने के साथ ही सरकारी उदाशिनता के कारण शहीदों के परिवार की आर्थिक व सामाजिक हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते चले गये। सरका...

पटना विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस का लाठीचार्ज

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पटना. पटना विश्वविद्यालय के छात्रों पर गुरुवार को पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। छात्र पटना विवि द्वारा लिए गए कई फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इनमें से एक था हॉस्टल आवंटन का मामला। छात्रों ने सुबह साढ़े 11 बजे प्रदर्शन शुरू किया और विधानसभा घेरने के विचार से आगे बढ़े। जैसे ही छात्र डाकबंगला चौराहा पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। छात्र नहीं माने। इस पर पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज कर दिया। इस दौरान कई छात्र घायल हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार एआईएसएफ, आइसा, छात्र राजद और एआईडीएसओ के सदस्य छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। छात्र पटना विवि प्रशासन द्वारा लिए गए कई फैसले के विरोध में विधानसभा घेरने की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में दर्जनों छात्र घायल हुए हैं।

निर्वस्त्र कर पीटी जाने वाली महिला अस्पताल से फरार

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पटना। पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) में सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई है। अस्पताल में भर्ती कराई गई जहानाबाद जिले की महिला संगीता देवी सोमवार को फरार हो गई। महिला पर दो लोगों का अपहरण और हत्या का आरोप है। ग्रामीणों की पिटाई में बुरी तरह घायल महिला को चिकित्सा के लिए पुलिस अभिरक्षा में अस्पताल लाया गया था। महिला की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है। डीआइजी प्रदीप कुमार ने जहानाबाद जाकर पूरे मामले की पड़ताल की। बीते बुधवार को संगीता देवी (40वर्ष ) की निजामुद्दीनपुर गांव में एक जमीन के सौदे के सिलसिले में दो व्यक्तियों का अपहरण और बाद में उनकी हत्या करने के आरोप में गांव वालों द्वारा निर्वस्त्र करने के बाद जमकर पिटाई की गई थी। गुरुवार को दोनों व्यक्तियों के शव पटना के पास सिगौरी में पाए गये थे। पुलिस का कहना है कि कुछ लोग महिला के घर पर कब्जे की नीयत से उसे जोर-जबर्दस्ती के बाल पर बाहर करने का दबाव डाल रहे थे, इन लोगों ने उसके घर को जला दिया था और गांव वालों के सामने ही निर्वस्त्र कर ...

मदनपुर गोलीकांडः खौफ का मंजर, गांवों में पसरे सन्नाटे

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विद्या सागर पटना। ये तस्वीरें बता रही है गांव में सन्नाटा पसरा है। गांव की हाल जानने वाला कोई यहां नहीं है। गांव की गलियों में कोई नजर नहीं आ रहा। गलियों में पसरा संन्नाटा जरूर कुछ कह रहा है। यह तस्वीर बिहार के अतिनक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के धनी पहाडियों के बीच बसा कनौदी गांव का है। जहाँ खौफ और आतंक के साये स्पष्ट दिख रहे है गाँव में पुलिसिया बर्बरता की कहानी यहाँ आकर देखा और समझा जा सकता है। २५ घरो की आबादी वाली इस बस्ती में चारो ओर सन्नाटा पसरा हुआ है क्योकि आज यहाँ बूढे़, महिलायें और बच्चो को छोड़कर सारे लोग गंाव से पलायन कर गए है इसका कारण है दर्द और जुल्म का अतीत जो इन्हे गांव छोडने पर मजबूर कर दिया। दरअसल इस गांव के लोग बीते शनिवार 19 जुलाई को मदनपुर में  अपने गांव के कुछ परिवार को पुलिस द्वारा नक्सली के नाम पर पिटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने गये थे। वहां प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस ने गोलियों की बैछारें की। आंशु गैस के गोले दागे, इस गांव के मासूम की जान गयी। गोलीकांड में मारी गई कलावती देवी का भी यही गांव है। महिलाओ ने बताया की दो दिनों...

मदनपुर गोलीकांडः खौफ का मंजर, गांवों में पसरे सन्नाटे

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विद्या सागर पटना। ये तस्वीरें बता रही है गांव में सन्नाटा पसरा है। गांव की हाल जानने वाला कोई यहां नहीं है। गांव की गलियों में कोई नजर नहीं आ रहा। गलियों में पसरा संन्नाटा जरूर कुछ कह रहा है। यह तस्वीर बिहार के अतिनक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के धनी पहाडियों के बीच बसा कनौदी गांव का है। जहाँ खौफ और आतंक के साये स्पष्ट दिख रहे है गाँव में पुलिसिया बर्बरता की कहानी यहाँ आकर देखा और समझा जा सकता है। २५ घरो की आबादी वाली इस बस्ती में चारो ओर सन्नाटा पसरा हुआ है क्योकि आज यहाँ बूढे़, महिलायें और बच्चो को छोड़कर सारे लोग गंाव से पलायन कर गए है इसका कारण है दर्द और जुल्म का अतीत जो इन्हे गांव छोडने पर मजबूर कर दिया। दरअसल इस गांव के लोग बीते शनिवार 19 जुलाई को मदनपुर में  अपने गांव के कुछ परिवार को पुलिस द्वारा नक्सली के नाम पर पिटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने गये थे। वहां प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस ने गोलियों की बैछारें की। आंशु गैस के गोले दागे, इस गांव के मासूम की जान गयी। गोलीकांड में मारी गई कलावती देवी का भी यही गांव है। महिलाओ ने बताया की दो दिनों प...